शीर्षक :- अँधेरे में चन्द्रमा
रात के अँधेरे में....
चन्द्रमा के घेरे में,
तारों की रातों में,
जग-मगा रहे थे तारे....
मन करता है उनको छुलूं....
मन करता है उनसे बोलूं,
उनको अपने पास बुलाकर....
अलग-अलग सवाल मैं पूछूं,
रात के अँधेरे में चंद्रमा के घेरे में....
कवि : मुकेश कुमार
कक्षा : 11
अपना घर
3 टिप्पणियां:
आपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है साप्ताहिक महाबुलेटिन ,101 लिंक एक्सप्रेस के लिए , पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक , यही उद्देश्य है हमारा , उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी , टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें
badhiya prastuti
बहुत सुंदर प्रस्तुति
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