गुरुवार, 14 जून 2012

शीषक :- पाने के लिए

शीषक :- पाने के लिए 
इस जीवन के सफ़र में....
शुरू से अंत तक,
कुछ भी हम करते हैं....
तो कुछ पाने और,
कुछ खोने के लिए....
शायद हम पढाई करते हैं,
तो दोस्तों का प्यार खेल कूद....
और वो हसीं मजाक लड़ना झगड़ना,
सब कुछ खो देते है....
शायद हमारे माँ बाप, 
एक वक्त की रोटी के लिए....
वो मेंहनती काम और दूसरों की,
बातों को सुनने को तैयार रहते है....
अपना सुख चैन सब कुछ खो देते हैं,
शायद हमारी जिंदगी का मतलब ही....
कुछ पाने के लिए कुछ खोना है,
कवि : हंसराज कुमार
कक्षा : 9
अपना घर  

1 टिप्पणी:

प्रतुल वशिष्ठ ने कहा…

जब बचपन में ही समझ आने लगती है जीवन की सच्चाई..... तब नन्हीं कलम चलने से नहीं हिचकिचाई.

वाह-भई-वाह!