"खुश खेत, हैरान इंसान"
खामोश है यह मौशम आज ,
थोड़ा सा उमड़ रहा गरज रहा है।
और सूरज हाँस रहा है।
तो आ रही है धरती पर ,
लेकिन बारिश भी जमा रही उन पर ,
पहले जैसा गिला कर दिया है।
गली और रास्ते भर दिया है।
खेत खलियान तो खुश है इनसे ,
पर मनुष्य हैरान है।
क्यूंकि उनको भी खेत में काम है।
कवि: सुल्तान कुमार, कक्षा: 11th,
अपना घर।
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