मंगलवार, 2 सितंबर 2025

कविता: "भगवान का कुछ दिया हुआ है"

 "भगवान का कुछ दिया हुआ है"
 भगवान ने कुछ दिया मुझको ,
मैं तुमको खो नहीं सकता तुमको। 
चाहे हँसा लू उसको पर रुलाना नहीं चाहता। 
 भगवान ने कुछ दिया मुझको ,
  वो मेरी जान से भी कीमती हैं। 
मेरे बीन एक पल भी नहीं रहती हैं। 
  चाहती है मेरा शिकायत ,
फिर भी मैं खामोश हूँ इस बदलते दुनिया में। 
मैं मनाता हूँ की मै गलत हो सकता हूँ ,
पर मेरे बीना कैसे रह सकती हो तुम। 
आशु बहाएगी जैसे नदी की धारा ,
फिर भी है सबसे प्यारी। 
 भगवान ने कुछ दिया मुझको ,
मैं तुमको खो नहीं सकता तुमको। 
कवि: निरु कुमार, कक्षा: 9th 
अपना घर 

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