"भगवान का कुछ दिया हुआ है"
भगवान ने कुछ दिया मुझको ,
मैं तुमको खो नहीं सकता तुमको।
चाहे हँसा लू उसको पर रुलाना नहीं चाहता।
भगवान ने कुछ दिया मुझको ,
भगवान ने कुछ दिया मुझको ,
वो मेरी जान से भी कीमती हैं।
मेरे बीन एक पल भी नहीं रहती हैं।
चाहती है मेरा शिकायत ,
फिर भी मैं खामोश हूँ इस बदलते दुनिया में।
मैं मनाता हूँ की मै गलत हो सकता हूँ ,
पर मेरे बीना कैसे रह सकती हो तुम।
आशु बहाएगी जैसे नदी की धारा ,
फिर भी है सबसे प्यारी।
भगवान ने कुछ दिया मुझको ,
मैं तुमको खो नहीं सकता तुमको।
कवि: निरु कुमार, कक्षा: 9th
अपना घर
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