"सपनों को नया आकार"
अब जो हो चूका वो हो चूका ,
अब आगे से होगी कोशिश पूरी।
जो सपने टूट चुके ,
अब उसे है सजाना।
सूंदर सी उसको आकार देना।
चहकती गौरैया सी मुस्कान देना।
अब जो हो चूका वो हो चूका ,
अब आगे बढ़ना है कदम से कदम मिलाए।
गुस्सा के रहो में प्यार बढ़ते - बढ़ते।
आगे बढ़ाना है हौसलो की चिंगारी जलाते ,
अंधकार को दूर करते - करते।
अब जो हो चूका वो हो चूका ,
अब आगे बढ़ना है कदम से कदम मिलाए।
कवि: अमित कुमार, कक्षा: 11th,
अपना घर।
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