सोमवार, 29 सितंबर 2025

कविता: "मौषम बदल रहा है"

"मौषम बदल रहा है"
आज कल दिन बदल रहा है। 
सुबह से शाम ढल रहा ,
है ये गर्मी का मौषम चल रहा है। 
आजकल के मौषम में ,
हर दिन बदल रहा है। 
कभी बारिश तो कभी धुप ,
आजकल ये मौषम ढल रहा हैं। 
गर्मी का मौषम चल रहा है। 
आजकल का दिन बदल ,
 कभी गर्मी तो कभी मौषम ठंडा। 
ऐसा कुछ मौषम चल रहा है ,
हर दिन मौषम बदल रहा है ,
ये गर्मी को मौषम चल रहा है। 
कवि: गया कुमार, कक्षा: 5th,
अपन घर 

 

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