सोमवार, 29 सितंबर 2025

कविता: "मन की बाते"

कविता: "मन की बाते"
 सोच - सोच कर थक गया हूँ। 
कब आएगा वो दिन ,
जब साथ में रहते थे ,
और साथ खेलते थे ,
कभी तो वो दिन आएगा। 
जब हम साथ रहेंगे ,
अब वो दिन बीत रहे है ,
सोच - सोच कर थक गया हूँ। 
कवि: रवि कुमार, कक्षा: 3rd,
अपना घर। 

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