शनिवार, 27 सितंबर 2025

कविता: "परीक्षा के दिन"

 "परीक्षा के दिन"
 अब परीक्षा के दिन आए 
पढ़ाई में सबने मन लगाया। 
सौ दिन का संघर्ष ,
एक दिन करके दिखलाया।  
उम्मीद का दीप जलाया ,
एक दिन के गैप में। 
सब बच्चे का होश उड़ाया। 
अब मौज - मस्ती पर रोक टोक लगाया। 
खेलने में मन नहीं लगता है। 
किताब  कॉपी को दोस्त बनाया। 
अब पैरिश के दिन आए ,
पढ़ाई में सब ने मन लगाया। 
कवि: नसीब कुमार, कक्षा: 3rd,
अपना घर। 

1 टिप्पणी:

Priyahindivibe | Priyanka Pal ने कहा…

हम्म ..! बचपन क्या खूब याद दिलाया 💯