"परीक्षा के दिन"
अब परीक्षा के दिन आए
पढ़ाई में सबने मन लगाया।
सौ दिन का संघर्ष ,
एक दिन करके दिखलाया।
उम्मीद का दीप जलाया ,
एक दिन के गैप में।
सब बच्चे का होश उड़ाया।
अब मौज - मस्ती पर रोक टोक लगाया।
खेलने में मन नहीं लगता है।
किताब कॉपी को दोस्त बनाया।
अब पैरिश के दिन आए ,
पढ़ाई में सब ने मन लगाया।
कवि: नसीब कुमार, कक्षा: 3rd,
अपना घर।
1 टिप्पणी:
हम्म ..! बचपन क्या खूब याद दिलाया 💯
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