शीर्षक:- बाग बगीचे और खेत
अगर न होते बाग-बगीचे....
और न होते खेत,
कहाँ से आता सब्जी गेहूं....
कैसे भरता पेट,
इसलिए किसान उगाता....
सब्जी गेंहू धान,
इन्ही को खाकर पेट....
करता है आराम,
तभी तो मिलती है ऊर्जा....
जिससे शरीर है करता रहता काम,
अगर न होते बाग-बगीचे....
और न होते खेत,
अगर न होते बाग-बगीचे....
और न होते खेत,
कहाँ से आता सब्जी गेहूं....
कैसे भरता पेट,
इसलिए किसान उगाता....
सब्जी गेंहू धान,
इन्ही को खाकर पेट....
करता है आराम,
तभी तो मिलती है ऊर्जा....
जिससे शरीर है करता रहता काम,
अगर न होते बाग-बगीचे....
और न होते खेत,
कवि:- जितेन्द्र कुमार
कक्षा:- 9
अपना घर
2 टिप्पणियां:
सुन्दर बाल कविता , आशीर्वाद
mera name dhiraj hai my binda sonkar me parth hu and this is sir deepak sir
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