शीर्षक :- दुःख सुख
दुःख तेरे हम दर्द है....
सुख तेरे दर्द है,
ये किस्मत का खेल है....
ये तेरे कर्म है,
जो तेरे साथ है....
दुःख सुख का खेल है,
सारे जग मे दोनों का मेल है....
खेलते ये सब खेल मिलके,
हर के लिए शुरू होता है खेल....
जो आता इस जग में,
उससे होता है इसका मेल....
सुख दुःख को वे क्या जाने,
जो यूरो-डालर कमाते है....
दुःख सुख तो उनसे पूछो,
जो कड़ी धूप में फसलें रोपा करते है....
दुःख तेरे हम दर्द है,
सुख तेरे दर्द है....
ये किस्मत का नहीं,
ये तेरे कर्म है....
जो तेरे साथ,
दुःख तेरे हम दर्द है....
सुख तेरे दर्द है,
ये किस्मत का खेल है....
ये तेरे कर्म है,
जो तेरे साथ है....
दुःख सुख का खेल है,
सारे जग मे दोनों का मेल है....
खेलते ये सब खेल मिलके,
हर के लिए शुरू होता है खेल....
जो आता इस जग में,
उससे होता है इसका मेल....
सुख दुःख को वे क्या जाने,
जो यूरो-डालर कमाते है....
दुःख सुख तो उनसे पूछो,
जो कड़ी धूप में फसलें रोपा करते है....
दुःख तेरे हम दर्द है,
सुख तेरे दर्द है....
ये किस्मत का नहीं,
ये तेरे कर्म है....
जो तेरे साथ,
कवि :अशोक कुमार
कक्षा :10
अपनाघर
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