शीर्षक :- मेरा बचपन
कहाँ गया वो मेरा बचपन....
छोटी सी इस दुनिया में,
जाने कहाँ खो गया वो बचपन....
मेरा बचपन बस अब एक,
याद बनकर ही रह गया....
सोंचता हूँ काश! वापस लौट आये,
मेरा वो प्यारा बचपन....
बचपन है एक ऐसा पल,
न होती इसकी सुबह, न आता कल....
याद आते हैं अब वो पल,
सोंचता हूँ कि काश!....
वहीँ ठहर जाता वो बचपन,
वो बारिश का पानी वो सावन के झूले....
वो पल भुलाये न भूले,
पीपल की वो छाँव....
कागज की वो नाव,
याद आता अपना गाँव....
पता नहीं कहाँ गया वो मेरा बचपन,
अब एक याद बनकर ही रह गया....
कवि :- धर्मेन्द्र कुमार
कक्षा :- 9
अपना घर
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