शीर्षक :- बस सोंचता हूँ
बस कापी पेन लेकर बैठा हूँ....
कुछ लिखने के लिए सोंचता हूँ,
क्या लिखूं समझ में नहीं आता....
बस यूँही कापी पर पेन चलाता हूँ,
बस कापी पेन लेकर बैठा हूँ....
सोंचता हूँ, समझता हूँ,
और आजाद भारत को देखता हूँ....
कैसे हम फिर गुलामी को प्राप्त करते जा रहें हैं,
और हर साल आजादी मनातें आ रहें हैं....
बस कापी पेन लेकर बैठा हूँ,
बस कापी पेन लेकर बैठा हूँ....
कुछ लिखने के लिए सोंचता हूँ,
क्या लिखूं समझ में नहीं आता....
बस यूँही कापी पर पेन चलाता हूँ,
बस कापी पेन लेकर बैठा हूँ....
सोंचता हूँ, समझता हूँ,
और आजाद भारत को देखता हूँ....
कैसे हम फिर गुलामी को प्राप्त करते जा रहें हैं,
और हर साल आजादी मनातें आ रहें हैं....
बस कापी पेन लेकर बैठा हूँ,
कवि :-सागर कुमार
कक्षा :- 9
अपना घर
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