शीर्षक :- समंदर
यह संसार एक समंदर है....
जिसमें जिन्दगी यूँ तैरती है,
न कभी ठहरती है, बस यूँ तैरती है....
यह संसार एक समंदर है,
इस समंदर में सभी तैरते है....
अपनी मंजिल को ढूंढ़ते है,
मंजिल नहीं मिलती है तो....
बस अपने से गरीबों को लूटते है,
यह संसार एक समंदर है....
कोई भूखे तैर रहा है तो,
कोई पेट भर कर तैयार रहा हूँ....
यह संसार एक समंदर है....
जिसमें जिन्दगी यूँ तैरती है,
न कभी ठहरती है, बस यूँ तैरती है....
यह संसार एक समंदर है,
इस समंदर में सभी तैरते है....
अपनी मंजिल को ढूंढ़ते है,
मंजिल नहीं मिलती है तो....
बस अपने से गरीबों को लूटते है,
यह संसार एक समंदर है....
कोई भूखे तैर रहा है तो,
कोई पेट भर कर तैयार रहा हूँ....
कवि:- सागर कुमार
कक्षा:- 9
अपना घर
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