शीर्षक :- ओलम्पिक
शुरू हुआ अब ओलम्पिक का खेल....
आ गए सब दूर देशों के खिलाडी,
हुआ कम्पटीशन निशानेबाजी का....
पड़ गया चीन का पलड़ा भारी,
चार साल के बाद शुरू होता है खेल....
खिलाडी करते है खूब मेहनत,
जीत-जीत स्वर्ण पदक ये....
बटोरते है खूब शोहरत,
एक बार जो चूक गये....
करना पड़ता है लम्बा इंतजार,
चार साल की ये मेहनत....
हो जाती है बेकार,
शुरू हुआ अब ओलम्पिक का खेल....
आ गए सब दूर देशों के खिलाडी,
हुआ कम्पटीशन निशानेबाजी का....
पड़ गया चीन का पलड़ा भारी,
चार साल के बाद शुरू होता है खेल....
खिलाडी करते है खूब मेहनत,
जीत-जीत स्वर्ण पदक ये....
बटोरते है खूब शोहरत,
एक बार जो चूक गये....
करना पड़ता है लम्बा इंतजार,
चार साल की ये मेहनत....
हो जाती है बेकार,
कवि : धर्मेन्द्र कुमार
कक्षा : 9
अपना घर
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