" चिड़िया "
चिड़िया बैठी थी दो - चार,
पेड़ पर अपने पंख पसार |
बिना कष्ट बिना मेहनत के,
नहीं मिलता यहाँ आराम |
उनके जीवन में होता है,
बस काम ही काम |
चाहे दिन हो, चाहे शाम,
फिर भी नहीं करती आराम ||
न कोई है उसके पास वाहन,
न कोई है जाने का साधन |
फिर भी अपनी मेहनत से,
उड़ जाती है आसमान तक |
चिड़िया बैठी थी दो - चार,
पेड़ पर अपने पंख पसार |
नाम : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं समीर जो की बहुत अच्छा गीत गाते हैं | कवितायेँ भी बहुत लिखते हैं अधिकतर प्रकति पर लिखते हैं | समीर के चेहरे हमेशा हंसी बानी ही रहती है |
2 टिप्पणियां:
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन आधुनिक काल की मीराबाई को नमन करती ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
प्यारी कविता
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