" मुस्कुराना सीखा "
बच्चों से मैंने मुस्कुराना सीखा,
जो बनाते हैंनया अफ़साना |
मुझे अभी बहुत कुछ है सीखना,
अभी बहुत कम जो मैंने है सीखा |
फिर मुझे भी है किसी को सिखाना,
अपनी सारी बातें किसी को बताना |
मुझे भी हैं अपने फ़साने को बताना,
अपने सोए हुए अरमानों को जगाना |
बच्चों से मैंने मुस्कुराना सीखा,
जो बनाते हैंनया फ़साना |
नाम : समीर कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं समीर कुमार जो की इलाहाबाद के रहने वाले हैं जो कक्षा 7th में अपना घर परिसद में पढ़ते हैं | कवितायेँ लिखने के साथ - साथ गाना भी बहुत अच्छा गाते हैं |
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