" बच्चों की माँ "
मैंने देखा घोसले को बार बार
जिसमें बैठे थे बच्चे चार |
लगी थी जिसको भूख और प्यास,
कर रहे थे अपनी माँ का इंतज़ार |
जब चिड़िया चोंच में दाना लाई,
अपने बच्चे के मुँह में खिलाई |
बड़ी मुश्किल से दाना ला पाती,
तब वह उनके पेट भर पाती |
हर कठिनाइयों का सामना करती,
पर बच्चों को भूखा नहीं रखती |
हर पल और हर घड़ी,
वह रखती है बच्चों का ध्यान |
काश सबको ऐसी ही माँ मिले,
जो बच्चे कभी भी न भूले |
नाम : नितीश कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर
कवि परिचय : शाँत स्वभाव के रहने वाले नितीश कुमार कक्षा 7th में पढते हैं और अपनी कविताओं में ममता का प्यार जैसे भरी कविता लिखते हैं | जिंदगी से बहुत अरमान हैं कुछ बनने के |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें