" ये बदलता मौसम "
ये बदलता मौसम,
कुछ कहते क्यों नहीं |
चिड़िया की बसेरा,
उजड़ रहे हैं क्यों यूहीं |
क्या जो कुछ हो रहा है,
क्या ये सभी है सही |
ये बदलता मौसम,
कुछ कहते क्यों नहीं |
मनुष्य बड़े ही नादान है,
ज्ञान से सभी अनजान है |
इनको कोई बताता क्यों नहीं ,
ये बदलता मौसम,
कुछ कहते क्यों नहीं |
इस धरती ने ही हमें सवारी है,
पर हमने ही इसे दी बीमारी है |
क्या हमने की हैयह सही,
ये बदलता मौसम,
कुछ कहते क्यों नहीं | |
नाम : देवराज कुमार , कक्षा : 7th , अपनाघर
कवि परीचय : यह है देवराज कुमार जो की बिहार के नवादा जिले से यहाँ रहकर पढ़ाई कर रहे हैं | पढ़ाई में हमेशा एफर्ट करते है | बड़े होकर एक फिलॉस्फर बनना चाहते है या फिर एक अच्छे डांसर |
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