सोमवार, 26 मार्च 2018

कविता : चिड़िया

" चिड़िया " 

चिड़िया बैठी थी दो - चार, 
पेड़ पर अपने पंख पसार | 
बिना कष्ट बिना मेहनत के,
नहीं मिलता यहाँ आराम | 
उनके जीवन में होता है, 
बस काम ही काम | 
चाहे दिन हो, चाहे शाम, 
फिर भी नहीं करती आराम || 
न कोई है उसके पास वाहन, 
न कोई है जाने का साधन | 
फिर भी अपनी मेहनत से, 
उड़ जाती है आसमान तक |  
चिड़िया बैठी थी दो - चार, 
पेड़ पर अपने पंख पसार |  

नाम : समीर कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर


कवि परिचय : यह हैं समीर जो की बहुत अच्छा गीत गाते हैं | कवितायेँ भी बहुत लिखते हैं अधिकतर प्रकति पर लिखते हैं | समीर के चेहरे हमेशा हंसी बानी ही रहती है | 

2 टिप्‍पणियां:

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन आधुनिक काल की मीराबाई को नमन करती ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

रश्मि शर्मा ने कहा…

प्‍यारी कवि‍ता