" मेरी पुस्तक "
मेरी पुस्तक कुछ बोलती है,
अपने विचारों को खोलती है |
ज्ञान का निर्माण कराती है,
रोते को हँसना सीखती है |
भटके को मार्ग दिखाती है,
अन्याय से लड़ना सिखाती है |
न मरती है न जाती है ,
बाँटने पर भी बढ़ती जाती है |
मेरी पुस्तक कुछ बोलती है,
अपने विचारों को खोलती है |
नाम : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 8th , अपनाघर
कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जिनकी कविता में दम और जज्बा रहता है | पढ़ाई में बहुत ही होशियार है | हमेशा अपनी कविताओं का गुड़गान करता है |
1 टिप्पणी:
बहुत अच्छी रचना
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