गर्मी
हवा चल रही है क्या पुरवाई ।
झूम रही है हर पेड़ की डाली॥
सन - सन चल रही गरम लपट।
पतंग हमारी उड़ रही है फटाफट॥
ऐसे में पतंग भला कौन न उडाये।
इतनी गर्मी में भला कौन न नहाये॥
चलो गर्मी के बहाने लस्सी पिया जाए।
लस्सी पीकर चलो पेड़ के नीचे बैठा जाए॥
झूम रही है हर पेड़ की डाली॥
सन - सन चल रही गरम लपट।
पतंग हमारी उड़ रही है फटाफट॥
ऐसे में पतंग भला कौन न उडाये।
इतनी गर्मी में भला कौन न नहाये॥
चलो गर्मी के बहाने लस्सी पिया जाए।
लस्सी पीकर चलो पेड़ के नीचे बैठा जाए॥
कविता: आदित्य कुमार, कक्षा ६, अपना घर
पेंटिंग: अक्षय कुमार, कक्षा ६, अपना घर
पेंटिंग: अक्षय कुमार, कक्षा ६, अपना घर
3 टिप्पणियां:
सुन्दर सरल रचना।
aapaki kavita bahut hi sundar hai beta , aise hi likhate raho . haa apni pyaari-pyaari rachnaayen nanhaman me bhi bhejie aur partiyogita me bhaag leejie | mujhe intjaar rahega aapki rachanaayon ka
seema sachdev
achchhee koshish.
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