शनिवार, 23 मई 2009

कविता: पानी जीवन का गहना

पानी जीवन का गहना
बादल गरजा गड़ - गड़ - गड़
बिजली चमकी चम - चम - चम
पानी बरसा टप - टप -टप
मेढ़क कूदा छप - छप - छप।।
हम सब भीगे पानी में
पानी भागे नाली में ।।
पानी को हमें बचाना है
पेड़ों को खूब लगना है
पानी को इकठठा करके रखना
जल ही है जीवन का गहना
कविता: ज्ञान कुमार, कक्षा , अपना घर

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