परीक्षा
जब वार्षिक परीक्षा आई।
तो हमार सिर चकराई॥
नींद ऊपर से आई।
जम्हाई अलग से आई॥
पर क्या करे ? पेपर है सिर पर।
लेके कापी बैठ गए छत पर॥
नंबर आई अगर कम।
तो निकल जाई हमार दम॥
यही सोच के हम पछताई।
की परीक्षा कब खत्म हो जाई॥
तो हमार सिर चकराई॥
नींद ऊपर से आई।
जम्हाई अलग से आई॥
पर क्या करे ? पेपर है सिर पर।
लेके कापी बैठ गए छत पर॥
नंबर आई अगर कम।
तो निकल जाई हमार दम॥
यही सोच के हम पछताई।
की परीक्षा कब खत्म हो जाई॥
कविता: आदित्य कुमार, कक्षा ६, अपना घर
पेंटिंग: ज्ञान कुमार, कक्षा ५, अपना घर
पेंटिंग: ज्ञान कुमार, कक्षा ५, अपना घर
5 टिप्पणियां:
मज़ा आ गया!
मन को भा गई यह कविता!
बाल लेखकों की रचनायें यहाँ देखकर अच्छा लगा ।
सुन्दर प्रयास ।
udas man ko prafulit kar gai
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do hard wark then u will be get good reasult.poem is very nice keep it up
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