रविवार, 2 नवंबर 2025

कवि: "आज का दिन"

"आज का दिन"   
आज का दिन बीता नहीं कुछ खास, 
शाम के 8 बजे हो रहा है मुझे अहसास। 
न जाने क्यों लाग रहा मुझे  बुखार,
सर दर्द हो रहा है जुखाम भी है,
सिर्फ बिस्तर पर जाना बाकी है,
दिमाग भी खराब हो गया है न जाने कहा सो गया है। 
सिगनल  बंद हो गया है आना,
फिर भी बढ़ाना है देश की शान। 
 आज का दिन बीता नहीं कुछ खास,
शाम के 8 बजे हो रहा है मुझे अहसास। 
कवि: रवि कुमार, कक्षा: 4th,
अपना घर। 



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