"आज का दिन"
आज का दिन बीता नहीं कुछ खास,
शाम के 8 बजे हो रहा है मुझे अहसास।
न जाने क्यों लाग रहा मुझे बुखार,
सर दर्द हो रहा है जुखाम भी है,
सिर्फ बिस्तर पर जाना बाकी है,
दिमाग भी खराब हो गया है न जाने कहा सो गया है।
सिगनल बंद हो गया है आना,
फिर भी बढ़ाना है देश की शान।
आज का दिन बीता नहीं कुछ खास,
शाम के 8 बजे हो रहा है मुझे अहसास।
कवि: रवि कुमार, कक्षा: 4th,
अपना घर।
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