मंगलवार, 11 नवंबर 2025

कविता: "सफलता की कुंजी"

कविता: "सफलता की कुंजी"
 ये खुशनसीब किस्मत है हमारी,
टीम टिमाते बहुत सारे तारे ,
चमकते है जिंदगी में जैसे सारे। 
कही दो पल दुख सहने तो रहने दो ,
कही दो पल की ख़ुशी तो रहने दो। 
अरे! रब ने ही भेजा था मुझे अपने कष्ट सहने को ,
कभी पेड़ो की छाव की तो कभी भटकते  राहो में ,
उस समय चेहरे पर मुश्कान थी ,
पर दिलो में जिंदगी की ही नुकसान थी। 
कवि: अजय कुमार, कक्षा: 6th,
अपना घर। 

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