गुरुवार, 6 नवंबर 2025

कविता: "खुशियो की लहर"

 "खुशियो  की लहर"  
जगमगा रहे है गलियाँ और चौराहें,
हर तरफ है झालर के जाले ,
टिमटिमाते रहे है सारे। 
जैसे टिमटिमाते जुगुनू सारे दिए में है खुशियाँ बाटते ,
आसमान में दिखे रंग बिरंगे तारे ,
बस प्रदूषाण है बहुत सारे। 
खुशियाँ तो मनाए आपने ,
बस बात नहीं राखी मन में आपने ,
सारे होश तो खो दिए ,
आँखी पटाखे जला दिए हजार सारे। 
कवि: सुल्तान कुमार, कक्षा: 11th,
अपना घर 

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