"खुशियो की लहर"
जगमगा रहे है गलियाँ और चौराहें,
हर तरफ है झालर के जाले ,
टिमटिमाते रहे है सारे।
जैसे टिमटिमाते जुगुनू सारे दिए में है खुशियाँ बाटते ,
आसमान में दिखे रंग बिरंगे तारे ,
बस प्रदूषाण है बहुत सारे।
खुशियाँ तो मनाए आपने ,
बस बात नहीं राखी मन में आपने ,
सारे होश तो खो दिए ,
आँखी पटाखे जला दिए हजार सारे।
कवि: सुल्तान कुमार, कक्षा: 11th,
अपना घर
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