" शिक्षा को पहचानों "
वह शिक्षा क्या जो दूसरों में बाँटी न जा जाए,
वह जीवन क्या जो दूसरों के साथ बिताया न जाए |
तुमने डिग्री हासिल की तो क्या ही कर लिया,
जब तक तूने ग्रहण किया ज्ञान जीवन से उतार दिया |
बहुत ही किया तुमने उन चीजों की व्याख्या,
बहुत सी खोज को तुमने देखा |
सभी चीजों को जानकर तो देखो
उन सभी को पहचानकर तो देखो |
ये चीजें सुख से आलम्बित है
ये चीजें दूसरों के हित के लिए है |
शिक्षा को समझो फिर बांटों,
न समझाने पर खुद को डाँटो |
कवि : राज कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता राज के द्वारा लिखी गये है जो की हमीरपुर के रहने वाले है | राज को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | राज ने इस कविता का शीर्षक " शिक्षा को पहचानों " दिया है | राज पदिखकर एक जज बनना चाहतें हैं |
2 टिप्पणियां:
मैंने अभी आपका ब्लॉग पढ़ा है, यह बहुत ही शानदार है।
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Thank giving us nice comments. I am very glad to see your comments and thanks for read my poem . for your nice comments i full of enthusiasm to write more poems
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