" जिंदगी को अपने शरण देती हैं "
मैं उस आसमाँ के बारे सोचता हूँ,
जो इतने सरे जिंदगी को अपने शरण देती हैं |
मैं उस बात को सोचता हूँ,
जो कुछ अजीब सा जिंदगी देते हैं |
कभी - कभी मैं कुछ और सोचता हूँ,
जो हंसी और उल्लास से भर देती है |
एक मनुष्य इतने सारी गलतियाँ
इस स्तिथि में रहना सीख लें |
कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
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