" क्यों किया बर्बाद "
मैंने सोचा था जब इस जहाँ के बारे में,
इसे खूब बर्बाद किया है यारों ने |
इस जहाँ को नहीं रखा जीवन लायक,
फिर भी वे सोचते हैं हम हैं खलनायक |
बिना किसिस वजह के क्यों किया बर्बाद,
फिर क्यों किया इस देश को आज़ाद |
कवि : समीर कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें