" मछुआरा "
पड़े रहतें हैं वे नदी के किनारे,
बिना किसी मछली के सहारे |
मछली मिले एक भी कभी,
बस ताकते रहतें हैं वे सभी |
कभी मिली तो कभी नहीं,
न मिली तो जातें है कहीं |
नदी में हो या तालाब में
बस मछुआरा तो रहता
मछलियों की तलाश में |
मछुआरों की जिंदगी मछली है,
उनके हाथों से नहीं निकली मछली |
कवि : रविकिशन , कक्षा : 10th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता रविकिशन के द्वारा लिखी गई है जिसका शीर्षक " मछुआरा " है | रविकिशन बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | रविकिशन को कवितायेँ लिखने में बहुत रूचि है | रविकिशन ने यह कविता मछुआरे के जिंदगी पर लिखी है |
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