रविवार, 17 नवंबर 2019

कविता : बूँद

" बूँद "

देखो क्या क्या लाई बूँद,
पत्तों से फिर टपकती बूँद |
मोती जैसी चमकती बूँद,
जैसे कोई इंद्रधनुष | 
सीधे आकर जमीं पर,
गिरती थकी हुई सी लगती है | 
यही चाहते हैं हैं हम सारे
कल फिर से बरसों बून्द | 

कवि : सुल्तान कुमार , कक्षा : 5th , अपनाघर

कवि परिचय : यह कविता सुल्तान के द्वारा लिखी गई है  जो की बिहार के रहने वाले हैं  |  सुल्तान को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है | सुल्तान ने इस कविता का शीर्षक " बूँद " दिया है | सुल्तान पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं और और अच्छे बनने की कोशिश करते हैं | 

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