रविवार, 11 अगस्त 2019

कविता : मैं क्या बनूँ

" मैं क्या बनूँ "

मैं क्या बनूँ,
इस सवाल ने सताया |
मैं क्या करूँ,
किसी ने नहीं बताया |
फिर मैं परिवार वालों से पूछा,
फिर  भी मुझको कुछ न सूझा |
दिमाग में आने लगे विचार,
क्या पढ़ना लिखना है बेकार |
पर मुझे लगा कुछ होगा यार,
जिससे हो जाएगी नौका पार |
इस सवाल ने कितना सताया,
मैं किस लायक हूँ,
मुझे किसी ने नहीं बताया |

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 9TH , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता देवराज के द्वारा लिखी गई है ,जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं परन्तु वर्तमान समय में कानपुर के 'आशा ट्रस्ट 'नामक संस्था में रहकर अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं | देवराज की यह कविता अपने पर आधारित है | देवराज को कुछ भी सिखने में बहुत रूचि है |

कोई टिप्पणी नहीं: