" बूँद "
जब भी पानी बरसता है,
फिर बूँद जरूर बरसता है |
बूँद -बून्द से ही खेती है,
जिसकी जरूरत हमको सदा होती है |
बूँद -बूँद से बना है यह संसार,
बिना बूँद नहीं होगी बड़ा पार |
बूँद चीज है जो कभी मर नहीं सकती,
बूँद के बिना कल्पना भी नहीं की जा सकती |
बूँद से ही जीते हैं संसार,
बूँद -बूँद से ही भरा है ये संसार |
कवि , मंगल कुमार , कक्षा : 3rd , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता एक छोटे से कवि जिसकी कविता लिखने की नई शुरुआत हुई है और कविता ी शुरुआत एक बूँद कविता से की है | मंगल मध्य प्रदेश के निवासी है जो की कानपुर के अपना घर नामक संस्था में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं |
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