" प्यारी माँ है तू "
धूप की तपती कहर है तू,
दोनों हाथों में स्वर्ग का आनंद है तू |
वह प्यारी माँ है तू,
छाती से दूध पिलाने वाली माँ है तू |
हर दर्द को समझने वाली,
हर मुसीबत से निपटने वाली |
एक प्यार का समुन्दर की लहरों का,
भरा हुआ जलासय है तू |
वह नाज़ुक से पैर को सराहने वाली,
गिर जाने पर दौड़ कर उठाने वाली |
मेरा सारा जहान तू है,
मेरी माँ है तू |
कवि : विक्रम कुमार , कक्षा: 9TH , अपना घर
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