" फूल "
मन करता है फूल बन जाऊँ,
हर जगह मैं खिल जाऊँ |
स्वर्ग सी धरती में मैं खिलूँ
कुर्बान शहीदों पर मैं चढ़ूँ |
घर की शोभा मैं ही बढ़ाऊँ,
खुशबू की महक चारों ओर फैलाऊँ |
क्यारी में रौनक बढ़ाऊँ,
सभी को अपनी ओर खींच लाऊँ |
मंदिर हो या मस्जिद पर,
हर जगह मैं मिल जाऊँ |
मन करता है फूल बन जाऊँ,
हर जगह मैं खिल जाऊँ |
कवि : सार्थक कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता सार्थक के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के निवासी है | सार्थक इस कविता के जरिए अपने मन की इच्छा को व्यक्त करना चाहा है जिसमें उन्होंने कल्पना की है कि काश मैं फूल होता | सार्थक की यह कविता बहुत ही प्रेरणा से भरी है |
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