रविवार, 11 अगस्त 2019

कविता : मौसम

" मौसम "


बदल रहें हैं मौसम आज,
फिर भी सभी हैं खास |
बदरी छा रही है पल पल में,
सुनहरी धूप खिल रही है कण कण में |
बादल भी कभी रोने लगते हैं,
सारी गन्दगी धुलने लगती है |
बसंत ,नई कली को जन्म देती,
तपती धूप पेड़ों का दम हर लेती |
गर्मी में भी बारिश की होती है आस,
बदल रहे मौसम ,फिर भी है खास |

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा :  10th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता प्रांजुल के द्वारा लिखी गई जो की छत्तीसगढ़ के निवासी हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | प्रांजुल के कविताओं का शीर्षक प्रकति से मिलता - जुलता होता है | पढ़ लिखकर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं 

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