" मन करता है पक्षी बनूँ "
मन करता है पक्षी बनकर,
खुले आसमान में उड़ जाऊँ
हर एक पल को मैं,
अपनी यादों में बसाऊँ |
हरी भरी सी डालियों पर,
मैं अपनी चहचाहट सुनाऊँ |
अपने को साबित करने को,
हर मुश्किल को पार कर जाऊँ |
खुले आसमान में पंख फैलाकर,
अपनी परेशानियों को मैं बतलाऊँ |
तूफान हो मुसीबत का पहाड़,
डट कर सामना मैं करूँ |
मन करता है पक्षी बनकर,
खुले आसमान में उड़ जाऊँ |
कवि : सार्थक कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता सार्थक के द्वारा लिखी गई है जिसका शीर्षक "मन करता है पक्षी बनूँ है" | सार्थक को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | सार्थक अपने मन के भावों को कविता के माध्यम से व्यक्त करता है | सार्थक इण्डियन आर्मी में भर्ती होना चाहते हैं |
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