" बूँदे भी कुछ कहना चाहती है "
ये बूँदे भी कुछ कहना चाहती है,
कुछ बताना चाहती है |
और कुछ सुनना चाहती है,
जब मैं गिरूँ इस धरती पर,
तो मुझे एक सरोवर में बचा लेना |
या फिर तुम अपनी एक पात्र में,
मुझे थोड़ी सी जगह दे देना |
ऐसा बस लिए कुछ कर देना,
मेरे अस्तित्व को ख़त्म मत कर देना |
कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता बिहार के निवासी नितीश के द्वारा लिखी गई है जो की कवितायेँ लिखने में महारथ हाशिल किए हुए हैं | नितीश को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और कवितायेँ लिखते भी हैं | नितीश पढ़लिखकर अपनी परिजन की सेवा करना चाहते हैं |
9 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में " गुरूवार 22 अगस्त 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 22/08/2019 की बुलेटिन, " बैंक वालों का फोन कॉल - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
नौवीं कक्षा के बच्चे की शानदार कविता।
सुंदर भावों को अभिव्यक्ति देते किशोर रचनाकार।
वाहह्ह।
ये बच्चे देश का भविष्य है. यदि अभी से जुड़ रहे प्रकृति से और बरसात में बरसने वाले अमृत को व्यर्थ न जाने देने की कामना रखते हैं तो शुभ है.
प्रेरक नन्ही कलम....
बहुत दिनों बाद इस ब्लॉग पर आना हुआ। पहले की तरह खूबसूरत है। नितीश को शुभकामनाएँ!
वाह ! सुंदर रचना
मेरे अस्तित्व को ख़त्म मत कर देना.... नौवीं के छात्र की इतनी अच्छी हिन्दी .... कमाल हैं । इसने हमें आशा बंधाई है कि अभी भी बच्चे पढ़ रहे हैं
वाह बेहतरीन ...
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