" सपना "
सपनों की एक रात में,
फसा सपनों के बीच मैं |
खोज रहा था मैं
ज्ञान का भंडार,
कैसा है ये संसार |
न है कहीं ज्ञान का भंडार,
समझ में आयी एक बात |
घूमते जा पहुंचा पुस्तकालय में,
यह थी ज्ञान से भरपूर |
एक बार वहाँ जाकर,
दोबारा जाने को हुए मजबूर |
तरह तरह की किताबें थी,
उसमें बहुत कुछ बातें थी |
नाम : अखिलेश कुमार , कक्षा : 7th ,अपनाघर
कवि परिचय : चेहरे से बहुत हसमुख दीखते हैं और बहुत ही चंचल बालक है | कविता बहुत ही काम लिखता हैं लेकिन बहुत अच्छी लिखता है | बड़े होकर एक अच्छे इंसान हो के साथ साथ विद्वान बनना चाहते हैं |
1 टिप्पणी:
बहुत खूब !
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