मंगलवार, 28 जनवरी 2020

कविता : मिलेगी तेरी हर मंजिल

" मिलेगी तेरी हर मंजिल "

हंसकर जीना है तो 
उदासी छोड़ दे ,
हर मोड़ पर लड़ना है तो 
बाजुओं को जोड़ दें | 
हठ करने की आदत सी है जो 
यूँ ही रूठना छोड़ दें | 
आग की तरह छलकना है तो  
अपनी राह को चुन लें | 
हँसकर जीना है तो
उदासीपन छोड़ दे | 
स्वतन्त्र जहाँ में रहना है तो 
हर वॉर को ठोक दे | 
मिलेगी तेरी हर मंजिल 
अगर तू कछुवा के तरह चले दे | 

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता कुलदीप के द्वारा लिखी  छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | कुलदीप को कवितायेँ लिखने का बहुत  शौक है और अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | कुलदीप एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं |



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