" वह याद "
वह हर याद जो हमें कुछ न कुछ,
देने की चाहत करती है |
जिंदगी के हर उस पल को,
ख़ुशनुमार बनाना चाहती है |
कभी ठहरती है यादें,
और कभी यूँ ही गुजरती है |
हवाओं के साथ बातें करते हुए,
कुछ धीरे से आवाज में चिल्लाती है |
अपनी बात सन्देश के साथ दे जाती है | |
कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
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