सोमवार, 30 दिसंबर 2019

कविता : बरसात

" बरसात "

बरसात के दिन आए,
नहाने में मज़ा आए | 
ये बड़ी - बड़ी बूँदें,
जब भी धरती पर कूदें | 
बरसात के दिन आए 
छतरी न खोल बरसात 
भीगने को मन ललचाए | 
नहाले इस बरसात में  
भीगा ये मैदान इस जहाँ में | 
कहाँ खेले बच्चे बेचारे,
बरसात के दिन आए 

कवि परिचय : यह कविता कामता के द्वारा लिखी गई है जिसका शीर्षक "बरसात" है | कामता को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और हर विषय पर कविता लिख सकते हैं | इस कविता में कामता ने बरसात की विशेषताएँ बताई है | कामता एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं |

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