" ठण्ड के कोहरे "
ये कोहरे भी कितने अजीब,
जो देख नहीं सकते दूर दूर तक |
भरी है कोहरे और प्रदूषण की चीज़,
जो हमेशा हर लोगों के लिए हो रही है |
कठिन भरी जिंदगी तनाव की अजीज,
कुछ करने के लिए हो रही है |
कठिनाइयों से भरपूर,
ये ठण्डी और कोहरे है अजीब |
कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
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