मंगलवार, 17 दिसंबर 2019

कविता : ठण्ड के कोहरे

" ठण्ड के कोहरे "
ये कोहरे भी कितने अजीब, 
जो देख नहीं सकते दूर दूर तक | 
भरी है कोहरे और प्रदूषण की चीज़,
जो हमेशा हर लोगों के लिए हो रही है | 
कठिन भरी जिंदगी तनाव की अजीज, 
कुछ करने के लिए हो रही है | 
कठिनाइयों से भरपूर,
ये ठण्डी और कोहरे है अजीब | 

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता विक्रम के द्वारा लिखी है जो की बिहार के रहने वाले हैं | विक्रम को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | अभी तक विक्रम ने बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | इस कविता का शीर्षक " ठण्ड के कोहरे " हैं | 

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