" लोग "
कैसे हैं लोग,
क्या है लोग |
क्यों हैं लोग,
मेरे कभी समझ में न आया |
सबसे पूछा तो सबने,
जवाब कुछ इस प्रकार दिया |
लोग तो पागल है,
लोग लचार है |
लोग बेकार हैं,
और कुछ बोलते है |
लोग ही भगवन है,
फिर मैंने मुस्कुराया |
और दिल को सहलाया,
और शांत जगह बैठकर |
ये समझाया,
लोग समझना बेकार पहले खुद को समझो |
क्योंकि तुम ही एक बड़ा संसार है |
नाम : देवराज कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता देवराज के द्वारा लिखी की बिहार के रहने वाले हैं और अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | देवराज को कवितायेँ लिखने | देवराज विज्ञानं में बहुत रूचि रखते हैं साथ ही साथ विज्ञानं से जुड़े प्रयोग भी करते हैं |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें