" हमारा संसार "
कुछ बदला सा लग रहा है,
यह हमारा संसार
कितना खूबसूरत था ये जहाँ
जिस को मनुष्य ने कर दिया तबाह
आसमाँ रंगीन हुआ करता था |
बारिश भी रिमझिम हुआ करती थी
अब काळा लगते हैं सब
जिस पर साया है प्रदुषण का
साँस लेना हो रहा है कठिन
तड़प रहे हैं लाखों मरीज़
कुछ बदला सा लग रहा है
यह हमारा संसार है
कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 8th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक हमारा संसार कुलदीप के द्वारा लिखी गई है | कुलदीप को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | कुलदीप एक नेवी ऑफिसर बनना चाहतें हैं |
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