" कोशिश "
कोशिश करने के बाद भी
यूँ ही हो जाती है हार |
निराश मत बैठना तुम
अपने मन को मार |
बढ़ते रहना आगे सदा
हो जैसा भी मौसम
पा लेती है मंजिल
चींटी भी गिर गिर का हर बार
ऐसा नहीं की राह में रहमत नहीं रही
करती है तो किनारा नहीं है दूर
अगर तेरे इरादे में बुलंद बनी
रही तो सितारा नहीं दूर
कवि :नवलेश कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर
कवि परिचय : यह अकविता नवलेश के द्वारा गई है बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं| नवलेश को क्रिकेट खेलने का बहुत शौक है | नवलेश एक बहुत ही अच्छा बालक है | पढ़ाई में बहुत अच्छे है |
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