रविवार, 19 जनवरी 2020

कविता : कुछ है खास

" कुछ है खास "

देखो इन हँसी रातों को, 
क्या इनमें कुछ है खास | 
जिन पर मुझे अभी भी, 
नहीं हो रहा है विश्वास | 
मुझे क्यों हो रहा है 
कुछ अलग सा अहसास | 
 इनमें कुछ तो कुछ है नया 
जिसका जादू मुझ पर है छाया | 
फिर भी मैनें कुछ न पाया 
सिर्फ समय को है खाया | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह  कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो की प्रयागराज के रहने वाले हैं | समीर को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और अभी तक बहुत सी कवितायेँ  हैं | समीर पढ़ लिखकर एक अच्छे  इंसान के  साथ एक अच्छे संगीतकार बनना चाहते हैं | समीर एक बहुत सी जिज्ञासु लड़का हैं |

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