" पढ़ाई "
सुबह तो कब हो जाती है,
दिन कब गुजर जाता है |
ये तो पता ही नहीं चलता | |
काश मैं पूरे साल पढ़ाई की होती,
तो ये नौबत न आती |
इसको मैं गलती कहूं,
या फिर यूँ लापरवाही कहूँ |
पर अब मुझे सूझ नहीं रहा,
क्या करूँ और क्या न करूँ |
सुबह बैठता हूँ पढ़ने,
तो शाम जाती है
रात को बैठो तो सुबह हो जाती है |
अब तो कुछ ही दिन बाकी है
मेरे परीक्षा को आने में |
अब पता नहीं क्या होगा,
ये तो भगवन ही जानेगा |
कवि :नीतीश कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता नितीश के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | नितीश को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | नितीश को नया सिखने में बहुत दिलचस्पी है | नितीश को कंप्यूटर में बहुत रूचि है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें