" मेरी चाह "
मेरी चाह एक ऐसी हो ,
दुनियाँ में हर एक जैसा हो |
हर गरीब की एक छाया हो,
बंधू और भाई माया हो |
दुःख का कोई नाम न हो,
खुशियों से भरा हर शाम हो |
दुनियाँ में हर किसी का नाम हो,
जिंदगी में हर कोई महान हो |
मेरी चाह एक ऐसी हो ,
दुनियाँ में हर एक जैसा हो |
कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 8th , अपनाघर
कवि परिचय : यह हैं विक्रम कुमार जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | विक्रम को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | विक्रम मन से बहुत ही अच्छा है |
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