बुधवार, 4 जुलाई 2018

कविता : मेरी चाह

 " मेरी चाह "

मेरी चाह एक ऐसी  हो ,
दुनियाँ में हर एक जैसा हो |
हर गरीब की एक छाया हो,
बंधू और भाई  माया हो |
दुःख का कोई  नाम न हो,
खुशियों से भरा हर शाम हो |
दुनियाँ में हर किसी का नाम हो,
जिंदगी में हर कोई महान हो |
मेरी चाह एक ऐसी  हो ,
दुनियाँ में हर एक जैसा हो | 

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 8th , अपनाघर 


कवि परिचय : यह हैं विक्रम कुमार जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | विक्रम को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | विक्रम मन से बहुत ही अच्छा है | 

कोई टिप्पणी नहीं: