रविवार, 29 जुलाई 2018

कविता : गर्मी बेहाल

" गर्मी बेहाल "

क्या बताएँ हम अपना हाल, 
यह मौसम है बिल्कुल बेहाल | 
न चैन है ,न ही है राहत,
पूरा दिन गर्मी में गरमाहट | 
थोड़ी सी बरसात राहत दिलाती ,
ज्यादा दिन वह भी नहीं टिक पाती | 
गर्मी में पसीना बहता रहता, 
जब कूलर का पंखा है रुकता | 
कैसे बढ़ जाती है ये गर्मी, 
न कोई दया , न कोई नरमी | 

नाम : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

  कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल  जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और अब अपना घर में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | प्रांजुल अपनी कविताओं का शीर्षक अच्छा लिखते हैं | बड़े होकर वह एक इंजिनयर बनना चाहते हैं | 

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