" गर्मी बेहाल "
क्या बताएँ हम अपना हाल,
यह मौसम है बिल्कुल बेहाल |
न चैन है ,न ही है राहत,
पूरा दिन गर्मी में गरमाहट |
थोड़ी सी बरसात राहत दिलाती ,
ज्यादा दिन वह भी नहीं टिक पाती |
गर्मी में पसीना बहता रहता,
जब कूलर का पंखा है रुकता |
कैसे बढ़ जाती है ये गर्मी,
न कोई दया , न कोई नरमी |
नाम : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
कवि परिचय : यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और अब अपना घर में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं | प्रांजुल अपनी कविताओं का शीर्षक अच्छा लिखते हैं | बड़े होकर वह एक इंजिनयर बनना चाहते हैं |
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